HMPV Virus चीन के बाद अब ह्यूमन मेटापन्यूमोवायरस (HMPV) ने भारत में भी दस्तक दे दी है। देशभर में इसके केस तेजी से बढ़ रहे हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक, सबसे ज्यादा 30% मामले महाराष्ट्र से सामने आए हैं। इसके अलावा बेंगलुरु, नागपुर, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल, अहमदाबाद और मुंबई में भी इस वायरस के मरीज पाए गए हैं। हालांकि, यह कोई नया वायरस नहीं है। भारत में इसका पहला केस 21 साल पहले दर्ज किया गया था। विशेषज्ञों के अनुसार, यह वायरस मुख्य रूप से सांस की बीमारी का कारण बनता है और इसका ज्यादा खतरा बच्चों, बुजुर्गों और कमजोर इम्यून सिस्टम वाले लोगों को है। इसके लक्षण सर्दी, खांसी, बुखार और सांस लेने में दिक्कत जैसे होते हैं। सरकार ने लोगों से घबराने की बजाय सावधानी बरतने की अपील की है।
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HMPV वायरस नया नहीं है:
स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, ह्यूमन मेटापन्यूमोवायरस (HMPV) कोई नया वायरस नहीं है। यह वायरस भारत में पहली बार 2001 में पाया गया था। पिछले कई वर्षों से यह वायरस दुनिया भर में फैल रहा है। हालांकि, HMPV को बहुत खतरनाक नहीं माना गया है।
यह वायरस फेफड़ों और श्वसन नली में इंफेक्शन करता है और सर्दी, खांसी, बुखार और फ्लू जैसे लक्षण दिखाता है। विशेषज्ञों के मुताबिक, यह वायरस मुख्य रूप से बच्चों, बुजुर्गों और कमजोर इम्यून सिस्टम वाले लोगों के लिए खतरा है। सही सावधानी बरतने से इस वायरस के असर को कम किया जा सकता है।
2001 में एक मरीज में पाया गया था।
यह वायरस पॅरामायक्सोव्हायरस फैमिली से जुड़ा है और इसे रेस्पिरेटरी सिंसिटियल वायरस (RSV) से भी जोड़ा जाता है। दोनों वायरस में काफी समानताएं हैं, और इनके लक्षण भी मिलते-जुलते हैं। HMPV मुख्य रूप से सांस की नली और फेफड़ों को प्रभावित करता है। इसके कारण सर्दी, खांसी, बुखार और सांस लेने में दिक्कत जैसे लक्षण सामने आते हैं। खासतौर पर यह वायरस बच्चों, बुजुर्गों और कमजोर इम्यूनिटी वाले लोगों के लिए अधिक खतरनाक माना जाता है।
भारत में HMPV का पहला मामला 2003 में पाया गया था।
पुणे के बीजे मेडिकल कॉलेज और एनआयवी ने एक छोटे बच्चे में इस वायरस की पुष्टि की थी। इसके बाद देशभर में HMPV के कई मामले सामने आए। 2024 में गोरखपुर में श्वसन रोग से पीड़ित 100 बच्चों में से 4 प्रतिशत बच्चों में HMPV के लक्षण पाए गए थे। इस वायरस का पता 2000 में डच वैज्ञानिकों ने लगाया और 2001 में इसका जीनोम अनुक्रमण किया गया। सीरोलॉजिकल अध्ययन से यह जानकारी सामने आई कि HMPV 1958 से ही नीदरलैंड्स में मौजूद था।
HMPV वायरस से बच्चों और बुजुर्गों को सबसे ज्यादा खतरा
HMPV वायरस विशेष रूप से बच्चों, बुजुर्गों और उन युवा लोगों को ज्यादा प्रभावित कर सकता है जिनकी प्रतिकारशक्ति कमजोर हो या जिन्हें पहले से कोई श्वसन संबंधी रोग हो। यह वायरस निमोनिया और ब्रोंकायटिस जैसी समस्याओं का कारण बन सकता है। HMPV का प्रकोप मुख्य रूप से सर्दी के मौसम में अधिक देखने को मिलता है। इस वायरस के संक्रमण के बाद आमतौर पर खांसी, छींक, सर्दी या गले में दर्द जैसे लक्षण नजर आते हैं।
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